जिला संवाददाता,देवरिया
बहरहाल, शनिवार को हिंदी दिवस पर स्थानीय बीआरडीबीडीपीजी कॉलेज में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार में बोलते हुए रामजी सहाय स्नातक विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर संतोष कुमार यादव ने कहा कि यह भाषा हमारी जातीय भाषा है. उन्होंने कहा कि यह संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है. . हिंदी इस देश में स्वतंत्रता आंदोलन की भाषा भी है। सभी अहिन्दी भाषियों ने भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि अब 80 से 85 फीसदी लोग हिंदी बोलते हैं. वैश्वीकरण के युग का भाषा पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। कई भाषाएँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। हिंदी उज्ज्वल है. आज हिन्दी बाजार, व्यापार और कम्प्यूटर की भाषा बन गयी है। प्राचार्य प्रोफेसर शंभूनाथ तिवारी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिंदी हमारी संस्कृति और समाज की धरोहर है. हिंदी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए और अन्य भाषाओं का भी सम्मान होना चाहिए. विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आरती पांडे ने कहा कि हिंदी भावनाओं की भाषा है। हिन्दी उल्लास की भाषा है। यदि हम हिन्दी में प्रगति लाना चाहते हैं तो हमें हर दिन हिन्दी दिवस मनाना चाहिए। महात्मा गांधी के नेतृत्व में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया। हिंदी हमारी मां है. माँ वह है जिसकी आप पूजा कर सकते हैं। हिन्दी का मान, सम्मान और प्रतिष्ठा स्वीकार करने के लिए सभी को तत्पर रहना चाहिए। भाषाएँ तो सभी हैं, पर हिन्दी एक बड़ी नदी है। विशिष्ट अतिथि डॉ. सूरज प्रकाश गुप्ता ने कहा कि उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविता से शुरुआत की। कहते हैं इंसान की पहचान भाषा से ही होती है. आज का दिन हमारी मातृभाषा हिंदी को सम्मान देने का दिन है। हमें अपने दैनिक कार्यों में हिन्दी का प्रयोग करने की आवश्यकता है। मातृभाषा ही प्रगति का आधार है। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती व बाबा राघवदास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की गयी. श्री अदिति राजभर ने आमंत्रण गीत तथा श्री पुनिता एवं श्री तरन्नु ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संचालन हिन्दी भाषा की शिक्षिका कंचन तिवारी ने किया। इस दौरान प्रोफेसर दर्शना श्रीवास्तव, डॉ. अरविंद पांडे, डॉ. विनय तिवारी, डॉ. वेद प्रकाश सिंह, डॉ. मंजू यादव, डॉ. प्रज्ञा तिवारी, डॉ. ब्रजेश यादव, डॉ. सज्जन कुमार गुप्ता, डॉ. अजय बहादुर, डॉ. अनुज श्रीवास्तव भी मौजूद रहे।