नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि आभासी मुद्रा लेनदेन से अर्जित लाभ पर कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि चर्चा के निष्कर्षों के आधार पर प्रतिबंध पर निर्णय लिया जाएगा.
सीतारमण ने भारत की संसद में आम बजट बहस के जवाब में कहा, “इस समय[क्रिप्टोकरेंसी]को वैध बनाने या प्रतिबंधित करने का हमारा कोई इरादा नहीं है।” प्रतिबंध लगाने का निर्णय चल रही चर्चाओं के परिणामों पर आधारित होगा।
आभासी मुद्राओं से होने वाले मुनाफे पर कराधान के संबंध में उन्होंने कहा, ”इसे वैध किया जाएगा या नहीं, यह अलग बात है।” लेकिन मैंने कर लगाया क्योंकि कर लगाना सरकार का संप्रभु अधिकार है।
वित्त मंत्री आभासी मुद्राओं के संबंध में कांग्रेस की छाया वर्मा के सवाल का जवाब दे रहे थे। वर्मा क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने की वैधता के बारे में पूछ रहे थे।
गौरतलब है कि 1 फरवरी को संसद में अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा था कि केवल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ‘डिजिटल रुपया’ को ही डिजिटल मुद्रा के रूप में मान्यता दी जाएगी। 1 अप्रैल से, सरकार किसी भी डिजिटल संपत्ति या क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से होने वाले मुनाफे पर 30% कर लगाने की योजना बना रही है।
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में प्रति वर्ष 10,000 रुपये से अधिक की ऑनलाइन डिजिटल मुद्रा वस्तुओं के भुगतान पर 1% टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त, इस प्रकार की संपत्ति के उपहार पर कर का प्रस्ताव है। किसी व्यक्ति विशेष के लिए टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये प्रति वर्ष है। इसमें व्यक्ति/हिन्दू अविभाजित परिवार शामिल हैं। उन्हें आयकर अधिनियम के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना आवश्यक है।
साथ ही, ट्रेडिंग से आय की गणना करते समय किसी भी प्रकार के व्यय या भत्ते में कटौती का कोई प्रावधान नहीं है।
क्रिप्टोकरेंसी पर 1 प्रतिशत टीडीएस प्रावधान 1 जुलाई 2022 से लागू होगा और मुनाफे पर कर 1 अप्रैल से लागू होगा।