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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
राजधानी भोपाल के रवींद्र भवन में राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले देश-विदेश के प्रख्यात लेखकों को सम्मानित किया। इस आयोजन का उद्देश्य हिंदी के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और भाषा की महत्ता को स्थापित करना था। कार्यक्रम का आयोजन मप्र शासन के संस्कृति विभाग द्वारा किया गया, जिसमें एक विशेष स्मारिका का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी हमारी स्वतंत्रता, सम्मान और स्वाभिमान की भाषा है। यह हमारी संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। भारत विभिन्न भाषाओं का गुलदस्ता है, और हिंदी सभी भाषाओं की आधार कड़ी है। मध्यप्रदेश सरकार भी हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी गर्व व्यक्त किया कि मध्यप्रदेश के युवा अब हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर डॉक्टर और इंजीनियर बनेंगे, जो राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने महर्षि वाल्मीकि से लेकर महात्मा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसी महान विभूतियों को याद किया, जिन्होंने हिंदी के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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हिंदी भाषा नहीं यह हमारी संस्कृति का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सामने अंग्रेजी जानते हुए भी हिंदी में बात करते हैं, जिससे हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्व महसूस होता है। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है और इसे और भी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हमें एकजुट प्रयास करने होंगे।
फूंका और थूका हुआ केक खिलाते है
संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी ने कहा कि आज हिंदी में अनेक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। मंत्री ने कहा कि इंग्लिश मीडियम पढाई से बच्चे पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर रहे हैं। पाश्चात्य विचार की ओर बढ़ रहे हैं। मंत्री लोधी ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान में लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दिला रहे हैं, यह सोचते हुए कि इससे बच्चों का अधिक विकास होगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के चलते हमारे बच्चे पश्चिमी विचारों और परंपराओं का अनुकरण कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले बच्चे अपने जन्मदिन पर माता-पिता का आशीर्वाद लेते थे और मंदिर जाकर पूजा करते थे, लेकिन अब जन्मदिन मनाने का तरीका बदल गया है। अब बच्चे मोमबत्ती जलाते हैं, उसे फूंककर बुझाते हैं और फिर फूंका और थूका हुआ केक को सबको खिलाते हैं।
भोपाल शहर सुंदर और साफ शहर, हिंदी ने मुझे वैश्विक बनाया
हिंदी सेवा के लिए सम्मानित श्रीलंका की अतिला कोतलावल ने कहा कि वे इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए मध्यप्रदेश सरकार की आभारी रहेंगी। बीते 24 वर्ष से हिंदी का प्रचार-प्रसार करते हुए कई बार विशिष्ट व्यक्तियों के लिए दुभाषिये के कार्य करने का अवसर भी मिला। सुश्री अतिला ने कहा कि हिंदी ने उन्हें वैश्विक बना दिया है। वे सभी से यही कहना चाहती है कि हिंदी भाषा को अपनाएं, अंग्रेजी के पीछे न भागें। सुश्री अतिला ने भोपाल आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक साफ-सुथरा और सुंदर शहर है।
कनाडा में रहकर भी हिंदी के लिए कार्य कर रहीं डॉ. हंसा दीप
समारोह में हिंदी सेवा के लिए सम्मानित डॉ. हंसा दीप टोरंटो (कनाडा) ने कहा कि भारत मेरी जन्मभूमि है, जिसे मैं स्वर्ग जैसा मानती हूं। आज मध्यप्रदेश सरकार से झाबुआ की बेटी को जो मान-सम्मान मिला है, उसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करती हूं। डॉ. हंसा ने कहा कि हिंदी ने वैश्विक पटल पर यात्रा जारी रखी है। मध्यप्रदेश सरकार की पहचान हिंदी में कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने वाले राज्यों में है। आज इस बात की खुशी है कि मेरे लेखन और अनुवाद कार्य को सम्मान मिला है।
हिंदी ने दिलवाया इन्हें सम्मान
संस्कृति विभाग वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के लिए 5-5 लाख रूपये की राशि का राष्ट्रीय पुरस्कार एक संस्था और नौ हिंदी सेवियों को कुल 10 पुरस्कार प्रदान किए गए। राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान के लिए डिजिटल इंडिया भाषिनी संस्थान, नई दिल्ली और अमकेश्वर मिश्रा (क्रिस्प/जनसंपर्क विभाग), राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से डॉ. हंसा दीप (कनाडा) और डॉ. अनुराग शर्मा (अमेरिका), राष्ट्रीय फादर कॉमिल बुल्के सम्मान से अतिला कोतलावल (श्रीलंका) और दागमार मारकोवा, चेक गणराज्य को सम्मानित किया गया। सुश्री दागमार की अनुपस्थिति में सुषमा शर्मा ने पुरस्कार ग्रहण किया। राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान से डॉ. कृष्ण कुमार मुम्बई और देवेन्द्र मेवाड़ी नई दिल्ली को सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान से डॉ. दामोदर खड़से पुणे और डॉ. मनमोहन सहगल पटियाला को सम्मानित किया गया। प्रांरभ में प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया।