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महिलाएं तेजी से प्रभावित होती हैं इस बीमारी से, अगर दिखे ये लक्षण तो हो जाएं सावधान…!


आधुनिक समय में खराब खान-पान और जीवनशैली की आदतों के कारण बहुत से लोग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं। दरअसल, आजकल ज्यादातर बीमारियाँ इस हद तक हो जाती हैं कि लोगों को तब तक पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह बीमारी है, जब तक कि यह शरीर में पूरी तरह फैल न जाए। महिलाओं को कुछ ऐसी बीमारियाँ होती हैं जिनके बारे में उन्हें पता भी नहीं चलता। ये साइलेंट किलर बीमारियाँ महिलाओं के शरीर में लगातार पनपती रहती हैं, लेकिन इनके लक्षण तुरंत सामने नहीं आते और जब दिखते भी हैं तो अक्सर इन्हें सामान्य समस्या समझकर नज़रअंदाज कर दिया जाता है। आइये बताते हैं कौन सी बीमारियाँ हैं महिलाओं की “साइलेंट किलर”।

एनीमिया: एनीमिया शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है। जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। यह एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं में अधिक होती है। एनीमिया से बचने के लिए आपको आयरन, विटामिन सी और फोलिक एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इस बीमारी के लक्षणों में थकान, त्वचा का पीला पड़ना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, चक्कर आना और हृदय गति का तेज होना शामिल हैं। इसलिए, आपको आयरन की कमी को पूरा करने के लिए अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। इनमें हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ऑर्गन मीट और सूखे फल शामिल हैं।

पीसीओडी या पीसीओएस: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है। यह बीमारी महिला के मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है। इसका सीधा असर आपके मासिक धर्म चक्र पर पड़ता है, जो 2-3 महीने के बाद शुरू होता है। ऐसे में बाल अत्यधिक झड़ने लगते हैं, त्वचा पर दाने निकलने लगते हैं और मोटापा बढ़ने लगता है। दरअसल, पीसीओडी का सबसे बड़ा कारण मोटापा है। इस बीमारी में आपको कोई भी मीठा या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। साबुत अनाज और फलियाँ इंसुलिन प्रतिरोध में काफी मदद कर सकती हैं। पीसीओडी के कारण महिलाएं जल्दी गर्भवती नहीं हो पाती हैं। ऐसे में आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करके इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

रजोनिवृत्ति: रजोनिवृत्ति एक ऐसा चरण है जिससे हर महिला अपने जीवन में गुजरती है। जब एक महिला रजोनिवृत्ति तक पहुंचती है, तो उसके मासिक धर्म बंद हो जाते हैं। महिलाओं में यह बदलाव 42 से 45 साल की उम्र के बीच शुरू होता है। रजोनिवृत्ति के कारण महिला हार्मोन, अर्थात् एस्ट्रोजन, में कमी आती है। ऐसे में हृदय रोग के प्रति सुरक्षात्मक प्रभाव भी कम हो जाता है।

हड्डियों का कमजोर होना: महिलाओं में गर्भावस्था के बाद और 30 साल की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए पर्याप्त कैल्शियम का सेवन और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं। सूरज की रोशनी के साथ-साथ दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पाद कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत माने जाते हैं। आप शाकाहारी सोया दूध भी चुन सकते हैं।

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