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वाराणसी समाचार: साल में 10 दिन बैगेज फ्री रहेंगे छात्र, 10 दिन बनारस की संस्कृति को विस्तार से जान सकेंगे छात्र



वाराणसी समाचार: साल में 10 दिन छात्र बैगेज फ्री रहेंगे और 10 दिन छात्र बनारस की संस्कृति को करीब से जान सकेंगे।

पोस्ट किया गया: Inextlive |अपडेट किया गया: शुक्रवार, 27 सितंबर, 2024 00:29:50 (IST)

इससे साल में 10 दिन छात्रों के बैग का बोझ कम हो जाएगा। इन कुछ दिनों में छात्र वाराणसी की संस्कृति को विस्तार से जान सकेंगे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दिशानिर्देश जारी किए हैं।

वाराणसी (ब्यूरो)। इससे साल में 10 दिन छात्रों के बैग का बोझ कम हो जाएगा। इन कुछ दिनों में छात्र वाराणसी की संस्कृति को विस्तार से जान सकेंगे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें सीबीएसई स्कूलों में साल में 10 दिन बैग डे नहीं होंगे। ऐसा करने का मुख्य कारण छात्रों को 10 दिनों के लिए उनके बैग से बाहर निकालना और अनुभवात्मक शिक्षा प्रदान करना है। इस दौरान छात्र वाराणसी में सांस्कृतिक केंद्रों का दौरा करेंगे। इससे विद्यार्थियों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

अपनी संस्कृति से जुड़े रहें

जहां हर कोई वाराणसी की संस्कृति का अनुभव लेना चाहता है, वहीं छात्र अपनी पढ़ाई में पिछड़ न जाएं, इसके लिए सीबीएसई ने सभी शहरों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। छात्रों को उस स्थान की संस्कृति को समझना होगा और उसे अपने जीवन में शामिल करना होगा। इसी प्रकार रेशम की बुनाई, कालीन, हस्तशिल्प आदि कई कलाएँ बनारस में प्रसिद्ध हैं लेकिन छात्र अभी भी उनसे परिचित नहीं हैं। इसलिए, साल में 10 दिन छात्र इन कलाओं से जुड़ी फैक्टरियों का दौरा करते हैं और कला की गहरी समझ हासिल करते हैं। इस दौरान छात्र इन कलाओं के इतिहास के बारे में भी जानेंगे।

बाहरी दुनिया को समझें

छात्र केवल किताबों तक ही सीमित न रहें, इसके लिए सीबीएसई विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करता रहता है। ऐसा करने का कारण छात्रों को स्थानीय लोक गायन को समझने में मदद करना है, जो उनके दिमाग में अपने शहर की संस्कृति की विरासत पर भी जोर देता है। जो छात्र भविष्य में इन कलाओं से संबंधित व्यवसाय करना चाहते हैं, वे इस टूर से बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। क्लास में छात्रों को हर कला से जुड़ी बातें भी समझाई जाती हैं और अगर कोई छात्र इनमें से किसी भी क्षेत्र में बिजनेस करना चाहता है तो उससे जुड़ी सारी जानकारी स्कूल से मिल जाएगी।

दौरा कहां होता है

-पीतल उत्पादों का कारखाना

-तांबे का कारखाना

– लकड़ी के पत्थर और मिट्टी के खिलौने

-बनारसी साड़ी फैक्ट्री

-कालीन कारखाना

छात्र अपने शहर को जानने और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए साल में 10 दिन बिताते हैं।

-गुरमीत कौर, सीबीएसई समन्वयक

ऐसी गतिविधियों से विद्यार्थी बहुत कुछ सीखते हैं। वह एक जगह से दूसरी जगह जाता है और चीजों का पता लगाता है।

अनुपमा राय, प्राचार्य, ज्ञानदीप स्कूल

छात्रों को बनारस की संस्कृति को जानना चाहिए। इस तरह, अगर आप बनारस में अधिक बिजनेस करना चाहते हैं तो आपको चीजों को समझने का मौका मिलेगा।

श्री सुधा सिंह, प्रिंसिपल सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल



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