उदयपुर. साध्वी डॉ. संयमुरताश्री ने कहा कि व्यक्ति जिस धर्म और संस्कृति से जुड़ा है, उसके प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिए। अपनी संस्कृति पर गर्व करें और उसके नियमों का पालन करें। हर इंसान को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। वह आज सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ पब्लिक स्कूल में एक धार्मिक सभा को संबोधित कर रही थीं।
श्रीसाध्वी ने कहा, ”आप अपने पिता का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन अगर आप उनकी बात नहीं सुनेंगे तो क्या आपको कभी उनका प्यार मिलेगा?” इसी तरह, यदि आप भगवान महावीर में बहुत आस्था रखते हैं, लेकिन उनकी बात नहीं मानते, तो आप महावीर के भक्त कैसे बन सकते हैं? केवल जैन परिवार में जन्म लेने से आप जैन नहीं हो जाते। जैन वे लोग हैं जो जिनेन्द्र को मानते हैं। उस स्थिति में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस धर्म का पालन करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जैन धर्म और भगवान महावीर न केवल जैन समुदाय की संपत्ति हैं, बल्कि आम लोगों की भी संपत्ति हैं। उन्होंने कहा, दरअसल, जैन धर्म के अनुयायियों की तीन पहचान होती हैं। पहला, प्रतिदिन गुरु के दर्शन करना, दूसरा, रात्रि भोजन का त्याग करना और तीसरा, छना हुआ पानी पीना। ऐसे में अगर वह भगवान महावीर को मानने वाला जैन बन सकता है, लेकिन सच्चा जैन बनने के लिए उसे भगवान महावीर के सिद्धांतों को अपनाना होगा।
धर्मसभा की शुरुआत नवकाल महामंत्र की प्रार्थना से हुई तथा डॉ.साध्वी अमितप्रज्ञा, श्रीसाध्वी कमलप्रज्ञा एवं श्रीसाध्वी सौरभप्रज्ञाजी ने संयुक्त रूप से भक्तामर स्तोत्र का अनुष्ठान किया।
गुरुवार को सेक्टर 14 पहुंचने की उम्मीद – डॉ. साध्वी संयमरता शिष्यों के एक समूह के साथ गुरुवार सुबह सेक्टर 14 स्थित महावीर भवन पहुंचेंगी और वहां एक दिन रुकेंगी। प्रतिदिन सुबह 9 बजे प्रवचन होते हैं।
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