न्यूज़रैप हिंदुस्तान टीम, मथुरा
रविवार, 30 जून 2024 10:05 अपराह्न अगला लेख
ब्रज संस्कृति भारतीय संस्कृति का मूल है। आज पूरी दुनिया ब्रज के महत्व से परिचित है। ये विचार टैगोर फेलोशिप पुरस्कार विजेता डॉ. प्रदीप जैन ने रविवार को रमणरेती मार्ग स्थित बृंदावन शोध संस्थान में ब्रज संस्कृति के वैश्विक संदर्भ पर आयोजित सेमिनार में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति की धरोहर है। श्रीकृष्ण ने विश्व कल्याण के लिए गीता जैसी पुस्तकें प्रदान कीं। पांडुलिपि विद्वान डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि ब्रज लोक क्षेत्र ब्रज 84 कोस तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे विश्व में फैला हुआ है। मथुरा वृन्दावन की खास बात यह है कि यहां हर घर में पांडुलिपियां संरक्षित हैं। श्रीकृष्ण केवल ब्रज में ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारतीय संस्कृति में पूजे जाते हैं। जैसे उत्तराखंड में श्रीकृष्ण को नागराजा कहा जाता है। आचार्य बृंदावन विहारी ने कहा कि प्रसिद्ध पश्चिमी विद्वान सीएम जोड पूरे विश्व को एक ही सभ्यता मानते थे। सभ्यता मानव शरीर की तरह है। संस्कृति की आत्मा वहीं निवास करती है। श्रीकृष्ण संस्कृति, ब्रज संस्कृति और यमुना संस्कृति, ये तीनो एक ही संस्कृति के नाम हैं। डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि श्रीकृष्ण पर्यावरण के सबसे बड़े संरक्षक हैं। उनकी गतिविधियों से आपको पर्यावरण को शुद्ध करने के बारे में भी ज्ञान मिलेगा। गवर्निंग काउंसिल सदस्य उदयन शर्मा ने सभी का आभार जताया। व्यवस्थापक रजत शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया। सर्जरी डॉ. राजेश शर्मा ने की। इस अवसर पर डॉ. सीमा मोलवाल, प्रगति शर्मा, क्यूरेटर ममता कुमारी, रेखा रानी, दीक्षा योगिता, लक्ष्मी पांडे, प्रियंका खंडेलवाल, शक्ति श्रीवास्तव, उमाशंकर पुरोहित, कलवेंद्र सिंह, देवोपम दास, कृष्ण कुमार मिश्रा, जुगल शर्मा, शिवम शुक्ला, हेमंत , अशोक दीक्षित, महेंद्र सिंह, अशोक दीक्षित, भगवती, रणवीर व अन्य मौजूद रहे।
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