छवि स्रोत: इंस्टाग्राम @ AZMISHABANA18 शबाना आज़मी
मुंबई “आपको यह समझना होगा कि 16वीं सदी से 21वीं सदी तक भारतीय महिलाओं की एक अनूठी यात्रा रही है, उन्होंने प्रगति की है लेकिन साथ ही उन पर अत्याचार भी हुआ है। भारत की तरह, महिलाओं को विरोधाभासों का सामना करना पड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार (आईफा) में मीडिया से बात करते हुए अनुभवी बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी ने मलयालम फिल्मों में महिला कलाकारों के यौन उत्पीड़न का खुलासा करने वाली न्यायमूर्ति हेमा आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्रगति और उत्पीड़न के बारे में खुलकर बात की समाज में महिलाओं की स्थिति। हमलों के मद्देनजर महिला फिल्म संगठनों द्वारा याचिका दायर करने के बाद केरल सरकार द्वारा आयोग की स्थापना की गई थी। आयोग ने मलयालम सिनेमा में काम करने वाली महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का दस्तावेजीकरण किया था। इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति के. हेमा ने की थी और इसमें अनुभवी अभिनेत्री शारदा और पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी केबी वर्साला कुमारी शामिल थीं।
न्यायमूर्ति हेमा आयोग की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग के साथ-साथ पूरे भारतीय फिल्म उद्योग को सदमे में डाल दिया, जिससे महिला कलाकारों के उत्पीड़न और शोषण की जांच के लिए कार्रवाई की मांग की गई। हेमा आयोग की रिपोर्ट के बाद कई महिलाएं सामने आईं और मलयालम फिल्म उद्योग की प्रमुख हस्तियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। अनन्या पांडे, स्वरा भास्कर, गुनीत मोंगा, एकता कपूर, तनुश्री दत्ता, लक्ष्मी मांचू, पृथ्वीराज सुखुमरन, टोविनो थॉमस, पार्वती थिरुवोट्टू आदि जैसे बॉलीवुड के कई बड़े नाम इस खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस लिस्ट में शबाना भी शामिल हो गई हैं।
मी-2 के बाद दूसरा विरोध
आपको बता दें कि ‘मी-2’ मूवमेंट के बाद भी बॉलीवुड अभिनेत्रियां महिलाओं के समर्थन में मुखर थीं. इस कैंपेन के दौरान कई अभिनेत्रियां सामने आईं और अपने साथ हुए गलत कामों के बारे में खुलकर बात की. फिलहाल न्यायिक हेमा आयोग की रिपोर्ट ऐसी ही बहस का कारण बनी हुई है. फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं ने भी इस मुद्दे पर खुलकर समर्थन किया है.
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