बीकानेर2 घंटे पहले
विकसित राजस्थान-2047” दस्तावेज़ की तैयारी के संबंध में राजस्थान भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा अकादमी में आयोजित सम्मेलन में साहित्यकारों ने राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के विकास एवं सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत किये। रविवार को सभागार. , कला, संस्कृति, आदि। वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार प्रो. श्री भंवर बदानी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने तथा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के समग्र विकास के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी में अप्रकाशित प्राचीन ग्रंथों का प्रकाशन किया जाना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि राजस्थानी को राज्य की दूसरी राजभाषा घोषित किया जाना चाहिए।
राज्य में राजस्थान एकेडमी ऑफ ग्लांस तथा राजस्थान लोक साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की स्थापना की जाये। अकादमी सचिव श्री शरद केवलिया ने ‘विकसित राजस्थान-2047’ दस्तावेज पर विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम का क्रियान्वयन करते हुए अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रत्नू ने कहा कि राज्य में प्राथमिक शिक्षा राजस्थानी में होनी चाहिए। राज्य सरकार द्वारा पुस्तक खरीद में राजस्थानी पुस्तकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। श्री मुकेश व्यास ने राजस्थानी में समाचार पत्र प्रकाशित करने की आवश्यकता व्यक्त की। शंकरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए राजस्थानी भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग योजनाओं को आसानी से समझ सकें। पेशेवर। नरसिंह बिनानी ने कहा कि बच्चों और युवाओं को राजस्थानी बोलने और लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सुधा आचार्य ने बीकानेर में ‘राजस्थानी सांस्कृतिक संग्रहालय’ बनाने की आवश्यकता जताई। मोनिका गौड़ ने कहा कि राजस्थानी भाषा के एकीकरण के लिए ठोस प्रयास किये जाने चाहिए। राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के प्रश्न पत्र अनिवार्य किये जाने चाहिए ताकि राज्य के युवाओं को लाभ मिल सके।
श्री कासिम बीकानेरी ने राजस्थानी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए अनुदान प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता जताई। अब्दुल शकूर सिसौदिया ने कहा कि राजस्थान के लोक कलाकारों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
जुगल किशोर पुरोहित ने दिवंगत राजस्थानी साहित्यकार पर एक पुस्तक के प्रकाशन के बारे में बात की। अकादमी के सूचना सहायक श्री केशव जोशी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के विकास के लिए आधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया जाना चाहिए। मौके पर श्रीनिवास तन्वी, इंद्र कुमार छंगाणी, सुशील छंगाणी, कंसिन, मनोज मोदी, रामावतार तिवारी व अन्य उपस्थित थे.