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नवनालंदा महाविहार के हिंदी विभाग एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में स्वतंत्रता आंदोलन एवं हिंदी पत्रकारिता विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर से हुई। विनोद कुमार मिश्रा, डीन, कला संकाय, त्रिपुरा विश्वविद्यालय, प्रोफेसर हितेंद्र कुमार मिश्रा, डीन, हिंदी विभाग, नॉर्थईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर दीपांकर राम, अकादमिक डीन और श्री नालंदा महाविहार ने दीप प्रज्वलित किया। इसके बाद पंडित धम्म ज्योति एवं पंडित संघ द्वारा बुद्ध वंदना एवं डॉ. नरेंद्र दत्त तिवारी द्वारा वैदिक प्रार्थना करायी गयी.
समाचार-पत्र मानव इतिहास से सम्बन्धित हैं
सेमिनार सत्र के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहासलेखन एवं राष्ट्रीय संगठन, नई दिल्ली के मंत्री डॉ. बालमुकुंद पांडे ने कहा कि समाचार पत्र मानव इतिहास के शुरुआती दिनों से जुड़े हुए हैं। प्राचीन काल में प्रजा से राजा को और राजा से प्रजा को पत्र लिखने की प्रथा व्यापक थी और यह पत्रकारिता का जीवंत उदाहरण है।
पेशेवर। हिंदी मंत्रालय के महानिदेशक हरे कृष्ण तिवारी ने कहा कि साहित्यिक विद्वानों और राजनेताओं का मानना था कि पत्रकारिता को स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख हथियार के रूप में अपनाया जा सकता है। उस समय पत्रकारिता ने ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा किए गए कुछ गलत कार्यों को उजागर किया। राजनेताओं ने पत्रकारिता के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया। महात्मा गांधी ने इस तथ्य को पहचाना कि पत्रकारिता की भाषा आम लोगों की भाषा है।