पोरबंदर: पोरबंदर जिला समृद्ध इतिहास वाले प्राचीन शिव और माताजी मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इसी तरह, पोरबंदर से लगभग 7 किमी दूर देगाम गांव में नवदुर्गा चामुंडा माताजी मंदिर भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। पोरबंदर जिले में चामुंडा माताजी के कई मंदिर हैं, लेकिन देघम का यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर के अलावा मेहर समाज ने यहां एक भव्य समाज भवन भी बनवाया। वहां शादी-ब्याह व अन्य कार्यक्रमों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं।
मंदिरों का इतिहास और महत्व
डेघम मेहल समाज के अध्यक्ष भीमबाई सुंदावधारा के अनुसार, डेघम गांव का इतिहास लगभग 550 साल पुराना है और मंदिर 600 साल से अधिक पुराना माना जाता है। देघम की कुल आबादी लगभग 7,000 लोगों की है और इस गांव के हर समुदाय के लोगों की चामुंडा माताजी में गहरी आस्था है। मंदिर का पुनर्विकास कार्य 2012 में शुरू हुआ और अब यह धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक प्रमुख केंद्र है।
मंदिर के मैदान और कार्यक्रम
इस मंदिर का पूरा परिसर 25 बीघे में फैला हुआ है और ग्रामीण वहां धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। मानदास बापू कई वर्षों से इस मंदिर की पूजा करते आ रहे हैं और उनके स्मारक के रूप में यहां उनकी प्रतिमा भी स्थापित है और भक्त यहां उनके सामने नतमस्तक होने आते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में प्राचीन शिव मंदिर और रामदेवपिल मंदिर भी हैं, जो भक्तों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
धार्मिक अनुष्ठान और भक्ति
डेघम और आसपास के गांवों के लोग इस मंदिर का गहरा सम्मान करते हैं। यहां हर महीने बीजा कार्यक्रम बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस मंदिर में चामुंडा माताजी की मूर्ति के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, यही कारण है कि यह स्थान नवदुर्गा पूजा के लिए भी प्रसिद्ध है।
यह मंदिर न सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि इसके आसपास लगे सदियों पुराने पेड़ और मंदिर का इतिहास इसे और भी खास बनाते हैं। पोरबंदर के देगाम में यह नवदुर्गा चामुंडा माताजी मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है और हर साल हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं।
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पहली बार प्रकाशित: 14 सितंबर 2024, 18:41 IST