जालंधर21 मिनट पहले
भास्कर न्यूज जालंधर हिंदू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ माह का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ माह के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा के दिन विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं। इस बार 22 जून है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए बरगद के पेड़ पर सत्यवान और सावित्री की पूजा करती हैं। इसके अलावा भगवान शिव और पार्वती की भी पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इस अनुष्ठान को करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। मॉडल हाउस के पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस दिन विशेषकर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत करने की परंपरा है।
इसी दिन से लोग गंगा जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिए भी निकलने लगे। इसके अलावा इस दिन पौधा लगाने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। जब हम पेड़-पौधों को पानी देते हैं तो देवता और पूर्वज इसकी सराहना करते हैं। माना जाता है कि इससे ग्रह के अशुभ परिणाम भी कम हो जाएंगे। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करने से आपको दस गुना अधिक भाग्य मिलता है।
इस दिन श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपके जीवन में खुशियां आएंगी। पंचांग समाचार पत्र के अनुसार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7:32 बजे शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 22 जून को सुबह 6 बजकर 48 मिनट पर होगा. ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी.