न्यूज़रैप हिंदुस्तान टीम,मुरादाबाद
टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर वीके जैन ने हिंदी, संस्कृत और गुरुकुल की शिक्षा को भारतीय संस्कृति की त्रिमूर्ति बताया। पेशेवर। जैन टीएमयू के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स द्वारा आयोजित कार्यशाला में भारतीय ज्ञान परंपराओं पर आधारित अमृत वचन पर बोल रहे थे।
इससे पहले कुलपति प्रो. पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पेशेवर वीसी वीके जैन सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। प्रोफेसर महावीर अग्रवाल, आईएमएस, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पूर्व निदेशक; प्रभु नारायण मिश्रा, टीएमयू आईकेएस प्रोफेसर; मुख्य वक्ता श्री अनुपम जैन एवं कार्यशाला समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने संयुक्त रूप से वर्जिन सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। पेशेवर। जैन धर्म ने बताया कि हिंदी और संस्कृत एक दूसरे के पूरक हैं, वे एक दूसरे के बिना अधूरे हैं और हम उनके बिना अधूरे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा और गुरुकुल प्रणाली से व्यक्तित्व का 360 डिग्री विकास होता है। पेशेवर। वेदों के महत्व को स्पष्ट करते हुए महावीर अग्रवाल ने कहा कि वेद विश्वभर में सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों को बताने वाले तथा मानव को मानव बनाने वाले ग्रंथ हैं। वेदों से ही सभी वर्गों का कल्याण हो सकता है। इस अवसर पर एकेडमिक डीन प्रो. मंजुला जैन, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर एमपी सिंह, संयुक्त कुलसचिव सामान्य प्रशासन प्रोफेसर अलका अग्रवाल, डॉ. विवेक पाठक, डॉ. अमीषा सिंह, प्रो. डॉ. मुकेश सिकरवार, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. सुगंधा जैन, डॉ. केएम मालवीय, डॉ. शिप्रा, डॉ. कामेश कुमार, डॉ. आलोक गहलोत, साक्षी बिष्ट, प्राची सिंह, पिनाकी अदक, अंकित मुल्तानी, ज्योति शर्मा व अन्य उपस्थित थे। .
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