नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) शीर्ष सैन्य कमांडरों ने सोमवार को पांच दिवसीय बैठक में चीन-पाकिस्तान सीमा पर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पर चर्चा शुरू की है।
राजधानी में होने वाले सम्मेलन की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे करेंगे. सम्मेलन 22 अप्रैल को समाप्त होगा।
सेना कमांडरों का सम्मेलन प्रत्येक वर्ष अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित एक शीर्ष स्तरीय कार्यक्रम है। यह सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संगठनात्मक मंच है और भारतीय सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में मदद करता है।
अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष के विभिन्न सैन्य पहलुओं पर विस्तृत बातचीत की योजना बनाई गई थी, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा पर यूक्रेन में युद्ध के संभावित प्रभाव का आकलन भी शामिल था। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों में चीन के साथ सैन्य गतिरोध के मद्देनजर सैन्य कमांडर 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सैन्य तैयारियों की व्यापक समीक्षा कर रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के साथ-साथ पूरे केंद्र शासित प्रदेश में स्थिति की भी व्यापक समीक्षा की जा रही है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 अप्रैल को वरिष्ठ कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे और बैठक को संबोधित करेंगे।
सेना ने कहा कि बैठक के दौरान, भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व सीमा युद्ध तैयारी समीक्षा, खतरे का आकलन, क्षमता विश्लेषण, क्षमता विकास और युद्ध तैयारी योजना पर ध्यान केंद्रित करेगा।
अधिकारियों ने बताया कि कमांडर एलएसी से लगे इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास पर भी मंथन करेंगे।
गौरतलब है कि चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रमुख बिंदुओं पर नए पुलों और सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ आगे बढ़ रहा है, और भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है।
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में शेष गतिरोध पर तनाव खत्म करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता कर रहे हैं। क्षेत्र में लंबित मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों ने 11 मार्च को 15वीं उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की।
भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की।
फिलहाल LAC के संवेदनशील सेक्टरों में दोनों तरफ से 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.