गया जिले की दो विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव दिलचस्प राजनीतिक समीकरण बना रहा है. दो प्रमुख उम्मीदवार अपने पिता की विरासत की मदद से अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाना चाह रहे हैं।
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एक तरफ हैं पार्टी की दीपा मांझी, जो इमामगंज से चुनाव लड़ रही हैं और अपने ससुर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की मजबूत राजनीतिक छवि को भुनाने की कोशिश कर रही हैं. दीपा ने न सिर्फ अपने पिता बल्कि अपने सौतेले पिता का भी जिक्र किया है.
दीपा जब भी मीडिया से बात करती हैं तो कहती हैं, ”पापा का नाम ही उनका मुख्य हथियार है.” जबकि वह अपने पिता से समाज सेवा की प्रेरणा लेती है, उसकी महत्वाकांक्षा जीतन राम मांझी की राजनीतिक स्थिति का उपयोग करके एक सम्मानित व्यक्ति बनने की है। दीपा का दावा है कि उनके दोनों ‘पिता’ की छवि उनकी चुनावी जीत का आधार बनेगी।
राजद प्रत्याशी विश्वनाथ सार्वजनिक तौर पर अपने पिता का नाम नहीं लेते.
इस बीच राजद प्रत्याशी विश्वनाथ भी राजनीति से दूर नहीं रह रहे हैं. हालाँकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने पिता का नाम नहीं बताया है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें विश्वास है कि उनके परिवार को जनता काफी पसंद करेगी। वह मीडिया के सवालों का जवाब थोड़ी सावधानी से देते हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें पार्टी पर ज्यादा भरोसा है या अपने पिता पर तो वे तुरंत पार्टी पर भरोसे का जिक्र करते हैं, लेकिन उनकी बातों में उनके पिता की झलक छिपी होती है.
यह उपचुनाव न केवल दोनों उम्मीदवारों के लिए व्यक्तिगत महत्व रखता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि क्या “पापा” की विरासत को आगे बढ़ाना और चुनाव जीतना संभव है। या फिर उन्हें भी खुद को साबित करना होगा. शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है. शाम को खुलासा होगा कि कितने लोगों ने नामांकन किया है. इसके बाद समीक्षा होगी.