लोकजन सेवा संस्थान एवं इंडियन कल्चरल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में प्रताप जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम आयोजक डॉ. मनीष श्रीमाली ने कहा कि सेमिनार का आयोजन प्रताप के सांस्कृतिक योगदान को उजागर करने के लिए किया गया था। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था का परिचय पूर्व अध्यक्ष डॉ. जयराज आचार्य द्वारा कराया गया तथा काव्य के क्षेत्र में योगदान के लिए कवि संग्रीधन चारण एवं लक्ष्मण सिंह कर्णावट का अभिनंदन किया गया। स्वागत भाषण देते हुए लोकजन सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रो.विमल शर्मा ने कहा कि स्मरणीय महाराणा प्रताप आज लोगों के दिलों में देशभक्ति के पर्याय के रूप में स्थापित हो गये हैं। ऐसी वैचारिक संगोष्ठियों के नियमित आयोजन से महाराणा प्रताप के जीवन के अनछुए पहलुओं को समाज से परिचित कराने का अवसर मिलता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व उपमुख्यमंत्री उमाशंकर शर्मा ने प्रताप के योगदान को याद किया और उनके सांस्कृतिक योगदान पर प्रकाश डाला. इंडिया कल्चरल फाउंडेशन के समन्वयक प्रोफेसर ललित पांडे ने कहा कि यूरोप के आल्प्स की तरह, अरावली घाटी में कोई चोटी या दर्रा नहीं है जो महाराणा प्रताप की सुबह की यशेघटा की यादगार कहानी को संरक्षित नहीं करता है। इसलिए अरावली का संरक्षण न केवल एक महान ऐतिहासिक शख्सियत को याद करने के लिए बल्कि पर्यावरण के संतुलन के लिए भी आवश्यक है, जो हर दिन इसके विनाश से प्रभावित हो रहा है। माणिकलाल वर्मा विश्वविद्यालय के डीन एवं प्रो. मलय पानेरी ने साहित्य में लेखकों द्वारा चित्रित प्रताप के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इतिहासकार डॉ. राजेंद्र नाथ पुरोहित ने प्रताप और शिवाजी के जीवन से जुड़े कुछ अप्रकाशित तथ्य साझा किए और उन पर भविष्य में शोध की जरूरत बताई। कार्यक्रम के दौरान कलाकार सीपी चित्तौड़ा ने प्रताप के जीवन को दर्शाने वाला 84 फीट लंबा पत्रक प्रदर्शित किया और माचिस की तीलियों से चेतक और प्रताप का चित्र बनाया। संत लक्ष्मण पुरी गोस्वामी ने भी काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रताप के संघर्षपूर्ण जीवन का चित्रण किया और सभी में देश के लिए कुछ करने का जोश भर दिया। कार्यक्रम का नेतृत्व गौरव सिंघवी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन लोकजन सेवा संस्थान के महासचिव जयकिशन चौबे ने किया। गणेश लाल नागदा, इंदरसिंह राणावत, ग्रुप कैप्टन गजेंद्र सिंह, अंबालाल सनाड़िया, डॉ. रमाकांत शर्मा, अविनाश खटीक, जगदीश शर्मा, हाजी सरदार मोहम्मद, ज्ञान प्रकाश सोनी, बसंती वैष्णव, वीणा राजगुरु, नारायण दास वैष्णव, तारा पालीवाल व राजमल मौजूद थे। . कार्यक्रम में चौधरी व अन्य शामिल हुए.
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