Social Manthan

Search

बच्चे के जन्म और ऑफिस गपशप पर दिलचस्प शोध


कौन सी खबर हमारी दुनिया के लिए प्रासंगिक है? कौन सी खबर हमारे लिए उपयोगी है? इस पेज में वह जानकारी है जिसने हमें अपनी उपलब्धियों से गौरवान्वित किया है। यहां आपको हमारी दुनिया के बारे में सारी जानकारी मिलेगी…

गपशप इतनी बुरी नहीं है
हमारे समाज में गपशप को हमेशा नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है। हालाँकि, बिंघमटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि कार्यालय की गपशप का भी सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यह कर्मचारियों को नियमित आधार पर कार्यालय आने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप संगठन की दक्षता बढ़ती है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि संगठनों को अपने कर्मचारियों के हितों पर विचार करना चाहिए और उनके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। इससे कार्यालय में गपशप बढ़ती है और संगठनात्मक प्रदर्शन में सुधार होता है। यह निष्कर्ष दक्षिण कोरियाई स्वास्थ्य मंत्रालय के 338 अधिकारियों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।

यह सिरदर्द का मुख्य कारण है
सिरदर्द दुनिया भर में आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। कभी-कभी सिरदर्द स्वयं ही समस्या होती है, लेकिन अधिकतर यह किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण हो सकता है। अब तक, सामान्य सिरदर्द का कारण अज्ञात था। हालाँकि, रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत एक हालिया शोध रिपोर्ट के अनुसार, गर्दन की मांसपेशियों की सूजन सिरदर्द के प्रमुख कारणों में से एक है। यह निष्कर्ष 20 से 31 वर्ष की आयु के लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।

स्मार्टफोन भी इस रिश्ते में बाधा डालते हैं।
स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि यह हमारे जीवन और रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है? हाल के शोध से पता चलता है कि स्मार्टफोन माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते को भी प्रभावित कर रहे हैं। औसतन, माता-पिता हर दिन अपने फोन पर 7.7 घंटे बिताते हैं और इस दौरान, लगभग 90% माता-पिता तब चिढ़ जाते हैं जब उनके बच्चे उन्हें रोकते हैं। अपने बच्चों के साथ प्रतिदिन औसतन दो घंटे बिताने के बावजूद, 75% माता-पिता अभी भी उस दौरान अपने फोन का उपयोग करते हैं। वहीं, 87% बच्चों ने माना कि जब उनके माता-पिता फोन इस्तेमाल करते समय उन्हें टोकते हैं तो वे गाली देते हैं।

एक मां के लिए बच्चे को जन्म देना बहुत मुश्किल काम होता है।
हर साल, दुनिया भर में 40 मिलियन से अधिक महिलाओं को प्रसव संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं तुरंत सामने नहीं आती हैं, बल्कि लंबे समय तक बनी रहती हैं। इनमें पीठ दर्द, चिंता, अवसाद, बांझपन, बच्चे के जन्म का डर और संभोग के दौरान दर्द जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। नई मांओं के स्वास्थ्य पर किए गए इस अध्ययन की रिपोर्ट लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई थी। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि नई मांओं के स्वास्थ्य पर उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए जितना गर्भावस्था के दौरान शिशु और महिला के स्वास्थ्य पर दिया जाता है।

कृपया हमें फ़ॉलो करें ऐप के साथ पढ़ें



Source link

संबंधित आलेख

Read the Next Article

शेयर 0 दतिया से विकास वर्मा की रिपोर्ट. संस्कृति बॉडी प्रोजेक्ट अभियान के तहत दतिया के भरतगढ़ स्थित सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विद्या मंदिर के सभागार में रैली का आयोजन किया गया। सरस्वती वंदना के बाद मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ बैठक की शुरुआत हुई। बैठक में मुख्य अतिथि श्री विष्णु जी … Read more

Read the Next Article

सचिवालय रिपोर्ट. मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को हरिद्वार के धमकोटी में ओम पुर घाट के पास विभिन्न राज्यों से आए शिविश ईसाइयों का स्वागत किया, उनके पैर धोए और उन्हें माला, शॉल और गंगा जल भेंट किया। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों से उत्तराखंड आए कावड़ियों का स्वागत करते हुए कहा कि … Read more

Read the Next Article

डॉ. दीपक अग्रवालअमरोहा/उत्तर प्रदेश (सनशाइन न्यूज़)राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो मूल्यों, देशभक्ति और संस्कृति से भरपूर हो.गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा में आयोजित हुआ30 जुलाई को चोटीपुरा स्थित श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने … Read more

नवीनतम कहानियाँ​

Subscribe to our newsletter

We don’t spam!