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रघुनाथपुर में जिउतिया व्रत के दौरान महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। बुधवार को व्रती माताएं सुबह-सुबह स्नान-ध्यान के बाद सरगही का सेवन करती हैं और पूरे दिन व्रत रखती हैं. गुरुवार को…
न्यूज रैप हिंदुस्तान, सीवान बुध, 25 सितंबर 2024 08:52 पूर्वाह्न शेयर करना
रघुनाथपुर संवाददाता। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए बुधवार को जिउतिया व्रत में निर्जला व्रत रखती हैं। दो दिवसीय अनुष्ठान के दौरान व्रत रखने वाली माताएं बुधवार को स्नान, ध्यान कर भगवान की पूजा करेंगी। सरगही का सेवन भी सुबह-सुबह किया जाता है। इसके बाद ही आस्थावानों का निर्जला व्रत शुरू होगा। माँ इस उम्मीद में एक दिन का उपवास रखती है कि उसका बेटा लंबी उम्र जिए। समारोह का समापन गुरुवार की सुबह पारण में होगा. नौ रात के व्रत के दो दिन पहले से ही पूजा के लिए सामग्री और फूलों की खरीदारी शुरू हो गई थी। दुकान पर दिन भर खरीदारी करने वालों की भीड़ लगी रही। मडुआ का आटा और तारो की सब्जी पुजारी को छूकर दी जाती है. मंगलवार की सुबह पुआ भोजन बनेगा और सभी माताएं उसे खायेंगी. शाम के समय चावल, दाल और सब्जियों के अलावा कई तरह के व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं. गुरुवार की शाम को, सिरो (चिली) सिलारिन के लिए सभी व्यंजन घर की छत पर रखे जाते हैं। मडुआ रोटी और तारो की सब्जी खाना सनातन संस्कृति में जितिया व्रत की एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना की जाती है। जितिया पर्व के दौरान माताएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। इस व्रत की शुरुआत एक खास और अनोखी परंपरा से होती है जो व्रत से एक दिन पहले होती है। बुधवार को निर्जला व्रत शुरू करने से पहले महिलाओं ने पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार को मड़ुआ रोटी और तारो की सब्जी का सेवन किया. सभी व्रतियों को मड़ुआ का भोग लगाना चाहिए, इसलिए माना जाता है कि इस दिन इसे जितना अधिक बांटा जाएगा, संतान की आयु उतनी ही लंबी होगी। गुरुवार की सुबह सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। इस व्रत को बिहार में हारजतिया व्रत भी कहा जाता है. यह व्रत संतान की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। झुतिया व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है और इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की खुशहाली और समृद्धि के लिए 24 घंटे का निर्जरा व्रत, अनुष्ठान और पूजा करती हैं। व्रत के इस तप से मां अपनी संतानों को सभी कष्टों से बचाती हैं। इस दिन जीवित्पुत्रिका की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी आयु का वरदान भी मिलता है। महिलाओं ने जितिया व्रत रखा. महिलाओं ने मंगलवार की सुबह सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान कर जितिया व्रत की शुरुआत की. व्रती महिलाओं ने सुबह सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए जितिया व्रत शुरू किया. बुधवार को व्रती महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा और शाम को व्रत के दौरान चिल शरीन और जीवित्पुत्रिका का श्रवण कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना की. गुरुवार की सुबह पूजा के बाद महिलाओं ने पारण किया। जितिया व्रत को लेकर महिलाओं ने घरों में खाना बनाया और अपने पूर्वजों को याद किया. व्रत रखने वाली कई महिलाओं ने कहा कि वे रात में अपने पूर्वजों और चीरा शरीन के लिए भोजन तैयार करना जारी रखती हैं।